वीरेंद्र कुमार
भगवान श्री राम का विवाह धूमधाम से संपन्न, विवाह में झूमें।
सोनभद्र। झारखंड बॉर्डर पर स्थित दिगंबर अखाड़ा अयोध्या से संबंध श्री राम मंदिर में भगवान श्री राम जी का विवाह समारोह शुभ मुहूर्त अगहन शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि को महंत मनमोहन दास जी के नेतृत्व में संपन्न हुआ।
शुभ मुहूर्त अगहन शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि को पुजारी हृदयानन्द के अगुवाई में भगवान श्रीराम की बारात बारातियों के साथ निकला।हनुमान मंदिर के पुजारी आनंद कुमार द्विवेदी व काली मंदिर पुजारी राजूरंजन तिवारी के शंखनाद ध्वनि से पूरा वातावरण गुंजायमान हो रहा था। सभी बारती भक्ति संगीत में झूमाते मदमस्त गीत राम जी की निकली सवारी, रामजी की लीला है न्यारी, जय श्री राम,जय बजरंगबली का उद्घोष लगाते बाराती चल रहे थे।
विवाह समारोह में भगवान श्री राम की बारात में शामिल बारातियों का काफिला हनुमान मंदिर के पुजारी आनंद कुमार द्विवेदी व काली मंदिर पुजारी राजूरंजन तिवारी के द्वारा शंख की ध्वनि गुंज रहा था।
बाराती कालीमंदिर,सब्जी मंडी, साहुचौक, रामलीला ग्राउंड, हलवाई चौक से निकलकर पुनः राम मंदिर पहुंचा। जहां बारातियों के स्वागत में रीति रिवाज के लिए मौजूद महिलाएं नैना देवी, तारा देवी, उत्तम देवी, पुजा देवी, इंदु देवी, काजल देवी, डोली देवी, उर्मिला देवी, कुसुम देवी, सीता देवी अनीता देवी राधिका देवी संध्या देवी ने गोबर के लड्डू से परिछन के दौरान मधुर गीत से स्वागत किया।
शादी की रस्म को पूरा करने के लिए वर पक्ष भगवान श्रीराम की ओर से हृदयानन्द तिवारी, सुरेन्द्र जायसवाल, संजय अग्रवाल, विजय चौरसिया,पवन रजक शामिल हुए तथा कन्या पक्ष माता सीता की ओर से वेद मोहन दास ब्रह्मचारी जी, विनय उपाध्याय, नंदलाल केसरी, राजू उपाध्याय, उदय कुशवाहा, रामचंद्र जायसवाल शामिल हुए तत्पश्चात फूल माला से सजे विवाह मंडप में पुरोहित नंदलाल तिवारी ने पूरे विधि विधान के साथ विवाह की रस्म को पूरा किया।
विवाह के दौरान शंखा पानी व लावा मेराई के लिए भाई का रस्म विनय उपाध्याय ने पूरा किया। विवाह के दौरान मौजूद महिलाएं “लावा मेराव हो विनय भैया बहिनी तोहार”व मीठी-मीठी गालियों से बारातियों का स्वागत कर रही थी। भगवान श्री राम के विवाह में शामिल हुए।
विवाह समारोह के दौरान महिलाओं ने मधुर गीतों के साथ भगवान श्री राम की बारात का स्वागत किया। विवाह समारोह में शामिल हुए इलाके के सैकड़ों बारातियों को भंडारे में प्रसाद स्वरूप तरह-तरह के व्यंजन परोसा गया।