अमित मिश्रा
सोनभद्र(उत्तर प्रदेश)। उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण प्लान आॅफ एक्शन के अनुपालन में रवीन्द्र विक्रम सिंह जनपद न्यायाधीश व अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में जनपद न्यायालय के एडीआर सेण्टर, जय प्रकाश नारायण राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय (बालिका), उरमौरा एवं जिला कारागार में राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
एडीआर भवन में आयोजित कार्यक्रम में मध्यस्थ अधिवक्तागण, एलएडीसीएस के अधिवक्तागण, पराविधिक स्वयं सेवक एवं कार्यालय के समस्त स्टाफ भी उपस्थित रहें। इस कार्यक्रम में सचिव अपर जनपद न्यायाधीश शैलेन्द्र यादव द्वारा विधिक अधिकारों के बारें में बताया।
उन्होने कहा कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 14, 21, 22, 38 39 ए सभी के लिए न्याय सुनिश्चित करने के प्रतिमान के बारे में बताता है। उन्होंने कहा कि समान न्याय और मुफ्त कानुनी सहायता की संवैधानिक दृष्टि एक ऐसे राष्ट्र के लिए अनिवार्य है, जहां लाखों लोग घोर गरीबी में जी रहें है। उन्होने कहा कि मौलिक अधिकार होने भर से कोई देश महान नही हो जाता। लोगो को मौलिक कर्तव्यों के बारे में पता होना चाहिए और उन्हे उनका पालन करना चाहिए।
उन्होने कहा कि अगर उचित कानूनी सहायता दी जाए, तो एक आम आदमी सम्मानजनक जीवन जी सकता है। विधिक सेवा दिवस का उदेद्श्य है बताते हुए कहा कि आज ही के दिन 09 नवम्बर 1995 को विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 लागू किया गया था उसी के परिप्रेक्ष्य में आज का दिवस मनाया जाता है। इसके अलावा मध्यस्थता, एलएडीसीएस स्कीम एवं अन्य महिला सम्बन्धी कानूनों के बारे में बताया गया कि कोई भी व्यक्ति आर्थिक कारणों से न्याय प्राप्त करने से वचिंत न हो न्याय चला निर्धन के द्वार न्याय सबके लिए तर्ज पर कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम और वादियों के अधिकार के तहत विभिन्न प्रावधानों के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए यह दिवस मनाया जाता है।
जनपद के सभी तहसीलों, ब्लाकों, महाविद्यालयों को मुफ्त विधिक सहायता प्राप्त करने के संवैधानिक अधिकार के बारे में जागरूक करने एवं रैली निकालने के लिए भी निर्देशित किया तथा संचार के विभिन्न माध्यमों के जरिए व्यापक प्रचार-प्रसार के महत्व पर बल दिया गया।
एडीआर सेन्टर पर आयोजित कार्यक्रम के समापन के बाद सुक्ष्म जलपान के पश्चात् एडीआर सेन्टर से बढ़ौली चौराहे तक एक विधिक जागरूकता रैली निकाली गई जिसमें उपस्थित सभी लोगो द्वारा सक्रिय सहयोग किया गया तथा उपस्थित सभी लोगो को विधिक सेवा दिवस के बारे में आज के दिन अपने-अपने स्तर से जागरूक करने के लिये प्रेरित किया गया।
वही जेल प्राधिकारियों द्वारा राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस का आयोजन किया गया तथा उपस्थित विचाराधीन बंदियों को नालसा द्वारा चलायी गयी स्कीमों के बारे में एवं निःशुल्क विधिक सहायता, विधिक सेवा दिवस के बारे में जागरूक किया गया।
इसके साथ जय प्रकाश नारायण राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय (बालिका), उरमौरा में शैलेन्द्र यादव, अपर जिला जजध्सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें उपस्थित बालिकाओं को विधिक मुफ्त सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के साथ-साथ उन्हें उनके अधिकारों के बारें में जागरूक करने का प्रयास भी करता है।
विधिक सेवा दिवस की शुरूआत पहली बार वर्ष 1995 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा समाज के गरीब और कमजोर वर्गों को सहायता और समर्थन प्रदान करने के लिये की गयी थी। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नालसा का गठन विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 के अन्तर्गत समाज से कमजोर वर्गों को निःशुल्क कानूनी सेवाएं प्रदान करने के लिये और विवादों के सौहार्दपूर्ण समाधान के लिये लोक अदालतों का आयोजन करने के उद्देश्य से किया गया है के बारे में जागरूक किया गया।
वही जिला समाज कल्याण अधिकारी रमाशंकर यादव द्वारा शासन द्वारा चलायी गयी योजनाओं के बारे में जागरूक किया गया।इसके अलावा महिला हेल्पलाइन एवं अन्य कानुनों के बारे में जागरूक किया गया।
उन्होंने बताया कि आयोजित होने वाली आगामी राष्ट्रीय लोक अदालत 14 दिसम्बर दिन शनिवार को सुनिश्चित किया गया है। जिसमें व्यापक स्तर पर बैंक, बीमा, राजस्व, विद्युत, जल, सर्विस में वेतन एवं भत्ते, सिविल, श्रम अन्य लघु अपराधिक मामलें, आर्बिट्रेशन मामलें तथा प्री,लिटिगेशन वादों का निस्तारण किया जाना है। जिससे संबंधित पत्रावलियों को संबंधित न्यायालय में प्रार्थना पत्र के माध्यम से लगवाकर राष्ट्रीय लोक अदालत में निस्तारण कर लाभ उठा सकतें है के बारे में भी जानकारी दी गई।