पूर्व मे नक्सलियों के गढ़ रहे गाँव पहुँचे एडीजी राम कुमार , ग्रामीणों के बीच गुजारी रात , सुनी समस्याएं और निस्तारण करने का दिया अश्वाशन
तीन राज्यों के सीमाओं का संगम वाले गाँव बसुहारी मे लगाया चौपाल
सोनभद्र(उत्तर प्रदेश)। कोन थाना क्षेत्र के नक्सल इलाके के गांवों में नक्सली कुछ वर्ष पहले तक जन अदालत लगाते थे आज वहां अधिकारी ग्रामीणों की मौजूदगी में चौपाल लगा रहे हैं। यह तब संभव हुआ है जब नक्सल इलाके का माहौल बदलते ही ग्रामीणों का मिजाज बदला है।
कोन थाना क्षेत्र के नक्सल इलाके के गांवों में नक्सली कुछ वर्ष पहले तक जन अदालत लगाते थे आज वहां अधिकारी ग्रामीणों की मौजूदगी में चौपाल लगा रहे हैं। यह तब संभव हुआ है जब नक्सल इलाके का माहौल बदलते ही ग्रामीणों का मिजाज बदला है। कोन थाना क्षेत्र के खोडैला , महुली , बसुआरी , पोखरिया , चांचीकलां , समेत अन्य गांव पहाड़ों की तराई सोन नदी के किनारों पर में बसा है। जो उत्तर प्रदेश को बिहार व झारखंड राज्य से सटा है इस स्थान को तीन राज्यों के सीमाओं का संगम कह सकते है । कुछ वर्षों पहले तक इन गांवों में नक्सलियों की जन अदालत लगती थी। नक्सलियों के दहशत से ग्रामीण जनअदालत में शामिल होते थे और जो फरमान सुनाया जाता था उसका हर हाल में पालन करते थे। बृहस्पतिवार को कोन थाना क्षेत्र के बसुआरी गाँव के पुलिस चौकी के परिसर में एडीजी वाराणासी जोन राम कुमार के साथ डीआईजी राजेश कुमार और एसपी डा0 यशवीर सिंह ने ग्रामीणों के साथ चौपाल लगाई। चौपाल में बसुआरी , पोखरीया समेत अन्य गांव व टोलों के ग्रामीण शामिल हुए। एडीजी राम कुमार को छोड़ दें तो पुलिस के सभी बडे अधिकारी इस गांव में पहली बार पहुंचे थे। अधिकारी जब गांव पहुंचे तो गरीबी का हस्त्र देखा। सोनभद्र जिला मुख्यालय से गांव पहुंचने की दुर्गम रास्ते पहुचे और ग्रामीणों की समस्याओं से अवगत हुए। ग्रामीण ने अधिकारियों को बताया कि इलाका विकास हो रहा है । इलाके में सिचाई का कोई साधन नहीं है । नदी ही सहारा है । आजादी के बाद सड़क अब बनना शुरु हुआ है । सोन नदी में पुल बना है जो इस क्षेत्र के लिये वरदान है। सड़क और पुल बनने से मरीजों को नजदीक के अस्पताल ले जाने में आसानी होगी । ग्रामीणों की समस्या सुनने के बाद एडीजी राम कुमार ने सरकारी योजनाओं का लाभ मिलने की जानकारी ली। कुछ ग्रामीणों ने बताया कि पेंशन नहीं मिलता है तो कुछ ग्रामीणों ने आवास और जमीन का पर्चा नहीं मिलने की शिकायत की। कुछ ग्रामीण आधार कार्ड बनने की बात बताई तो कुछ ने कहा कि नहीं बना है। अधिकांश ग्रामीणों ने जाब कार्ड नहीं बनने की शिकायत की। ग्रामीणों ने कहा कि पंचायत के अधिकारी और कर्मचारी गांव नहीं आते हैं। उम्र के आखिरीपन में जी रही बुजुर्ग महिला ने बताया कि वृद्धा पेंशन नहीं मिलता है। ग्रामीणों ने अधिकारियों को बताया कि आजादी के बाद से आजतक इलाके में विकास नहीं हुआ है। हर घर नल जल योजना का लाभ कुछ घरों तक पहुंचाया गया है तो जहां चार और पांच घर बसे हैं वहां कनेक्शन नहीं दिया गया है। गर्मी में पेयजल का संकट पैदा हो जाता है। एडीजी ने ग्रामीणों को बताया कि पेंशन, आवास, जाब कार्ड, आधार कार्ड के लिए जिला प्रशासन से बात कर शिविर लगवाएंगे। वर्ष 1997 से 2013 तक नक्सली लगाते थे जन अदालत ।

माओवादी नक्सलियों की शुरुआत वर्ष 1997 हो गयी थी।नक्सलियों ने वर्ष 1997 से 2013 के पंचायत चुनाव हो या विधानसभा या फिर लोकसभा में बसुआरी, पोखरीया गांव मे जनअदालत लगाया था। पंचायत चुनाव में खड़े कई अभ्यर्थियों को चुनाव बहिष्कार करने और नामांकन वापस लेने की फरमान सुनाई जाती थी। फरमान का असर यह होता था कि कई प्रत्याशियों ने अपना नामांकन वापस ले लेते थे। फरमान नही मानने वालो को गोली मारकर हत्या कर दी जाती थी।

पुलिस के सभी कार्यक्रम में ग्रामीण बढ़ चढ़ कर शामिल होते हैं और अपनी समस्या बताते हैं। नक्सल प्रभावित बसुआरी गाँव के चौपाल मे काफी संख्या में ग्रामीण शामिल हुए । इलाके में इन दिनों बदलाव का नजारा दिख रहा है।
