लेखपाल अरुणोदय कुमार पाण्डेय का एक वर्ष में तीन बार हुआ तबादला
सोनभद्र (उत्तर प्रदेश)। सूबे में सत्ता परिवर्तन के बाद योगी सरकार ने अवैध खनन पर रोक लगाने का दावा करती रही है लेकिन जनपद में अवैध खनन किस तरीके से अधिकारियों की मिली भगत से हो रहा है यह उप जिलाधिकारी की जांच रिपोर्ट से स्पष्ट हो जाता है। इस जांच रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि क्षेत्रीय लेखपाल की दुरभिसन्धि करके अवैध खनन किया गया है।
बिल्ली मारकुंडी की ग्राम प्रधान रेखा देवी के शिकायती प्रार्थना-पत्र की जाँच हेतु क्षेत्रीय लेखपाल को निर्देशित करने के उपरान्त क्षेत्रीय लेखपाल द्वारा जाँच कर आख्या 16 दिसम्बर को उपलब्ध करायी गयी। जिसमें उल्लिखित किया गया है कि ग्राम बिल्ली मारकुण्डी के स्थित गाटा संख्या 4823, 4821, 4814, 4847, 4848, 4849, 4850, 4851, 4860मि 4771, 4772, 4780, 4782, 4784 4845, 4815मि. 4816मि, 4817 मि. 4818 मि. 4853मि. 4820 मि. 4810 मि कुल 8.79 एकड में 31-05-2016 से 30-05-2026 तक के लिए मधुसुदन सिंह पुत्र राम वदन निवासी हिनौती, थाना घोरावल, जनपद सोनभद्र एवं दिलीप कुमार केशरी पुत्र स्व0 लक्ष्मण प्रसाद निवासी अयप्पा मंदिर बिल्ली मारकुण्डी, जनपद सोनभद्र के पक्ष में डोलो स्टोन खदान स्वीकृत हुआ है। खनन पट्टा धारकों द्वारा गाटा संख्या 4824 रकबा 0.2910 जो पुरानी परती खाते में दर्ज है, में लगभग 20 मीटर गहरा गड्डा किया गया है। वर्तमान समय में उक्त गाटे में खनन नहीं हो रहा है। गाटा संख्या 4857 रकबा 0.1770 हे0 में से 0.0760 हे0 रकबे पर अवैध खनन करते हुए 45 मीटर गहरा गड्डा खोदकर भूमि का स्वरूप परिवर्तित कर दिया गया है। आराजी संख्या 4846ख रकबा 0.0630 हे0 बाँध खाते में दर्ज है। जिसमें लगभग 2 मीटर गहराई में पत्थर का अवैध खनन करके अतिक्रमण किया गया है।
यदि क्षेत्रीय लेखपाल द्वारा अवैध खनन के संबंध में ससमय आख्या उपलब्ध करायी गयी होती तो खननकर्ताओं द्वारा अवैध खनन किया जाना संभव न होता । परन्तु क्षेत्रीय लेखपाल द्वारा खननकर्ताओं के साथ दुरभिसंधि करके अवैध खनन की आख्या से उच्चाधिकारियों को अवगत न कराकर अवैध खनन में सहयोग प्रदान किया गया है।
उक्त प्रकरण की जॉच अधोहस्ताक्षरी द्वारा भी की गयी। जाँच में पाया गया कि क्षेत्रीय लेखपाल द्वारा अनुशासनहिनता की गयी है। जाँच आख्या के साथ क्षेत्रीय लेखपाल द्वारा स्पाटमेमो व जी.पी.एस. फोटोग्राफ्स उपलब्ध नहीं कराया गया है। पास में स्थित गंगा स्टोन व बालाजी स्टोन द्वारा भी अवैध रूप से खनन किया गया है, परन्तु लेखपाल द्वारा उक्त दोनों स्टोन के विरूद्ध अपनी आख्या में कोई उल्लेख नहीं किया गया है। ऐसा प्रतित होता है कि क्षेत्रीय लेखपाल द्वारा अवैध खननकर्ताओं से दुरभिसंधि करके अवैध खनन में सहयोग प्रदान किया जा रहा है। क्षेत्रीय लेखपाल के सहयोग से खननकर्ताओं द्वारा ग्राम समाज की भूमि पर अवैध खनन किया जा रहा है। प्रकरण में लेखपाल की भूमिका संदिग्ध प्रतित होती है।
उप जिलाधिकारी ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा है कि अगर ग्राम समाज की भूमि पर अवैध खनन करने व क्षेत्रीय लेखपाल द्वारा अवैध खनन के संबंध में ससमय आख्या प्रस्तुत न करने के कारणों एवं संबंधित लेखपाल की अवैध खनन कराये जाने में भूमिका स्पष्ट है।
बताते चले कि क्षेत्रीय लेखपाल अरुणोदय पाण्डेय का तबादला 14 जुलाई 2021 को दुद्धी तहसील से ओबरा तहसील के लिए किया गया , जिसके बाद 28 जुलाई को जुगैल सर्किल पर किया गया। इसके बाद 01 जनवरी 2022 को जुगैल से कोटा के लिए स्थानान्तरण कर दिया गया। दुद्धी तहसील से स्थानान्तरण होकर आए लेखपाल पर अधिकारी इतने महेरबान रहे कि एक वर्ष के अन्दर उन्हें सर्किल बदलते हुए 29 जून को कोटा से बिल्ली मारकुंडी तबादला कर दिया गया , कब इसके पीछे अधिकारियों की जो मंशा रही हो वो तो वही जाने। अगर चर्चाओं की माने तो इन लेखपाल महोदय पर बिल्ली मारकुंडी में तैनात रहे बहुचर्चित लेखपाल की छत्रछाया है। जिसकी वजह से अधिकारी अपने मनमुताबिक लेखपाल को कई प्रक्रिया को दोहराते हुए बिल्ली मारकुंडी में इस लेखपाल को तैनाती दी गयी। इस लेखपाल के स्थानान्तरण को लेकर राज्यसभा सांसद रामसकल को पत्र लिखना पड़ा लेकिन यह लेखपाल उनपर भी भारी पड़ा और भाजपा के ही जनप्रतिनिधि और नेता बिल्ली मारकुंडी सर्किल पर ही बने रहने का वरदान दिया।
