बृजेश कुमार शर्मा
वन विभाग , राजस्व विभाग और पुलिस की संयुक्त टीम ने किया कार्रवाई
सोनभद्र। भारतीय जनता पार्टी देश के सर्वोच्च पद पर आदिवासी समाज सम्मान देते हुए द्रोपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाया है तो वही उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में वन भूमि पर कब्जे को लेकर आज 59 आदिवासी महिलाओ को वन विभाग और पुलिस की संयुक्त टीम ने गिरफ्तार किया है।
मामला रेनुकूट वन प्रभाग के दुद्धी वन रेंज के अंतर्गत रजखड़ बीट के मझौली कंपार्टमेंट नं चार कादल के झुमरिया जंगल में 32 बीघा भूमि पर अवैध कब्जे की नियत से डाली गई दर्जनों झोपड़ी को राजस्व , वन विभाग व पुलिस की संयुक्त टीम ने जमींदोज कर दिया और उक्त भारी भरकम क्षेत्र में जुताई की तैयारी में लगे 59 आदिवासी महिलाओं को हिरासत में ले लिया गया है। वन विभाग 59 आदिवासी महिलाओं सहित एक पुरुष का मेडिकल कराकर जेल भेजने की तैयारी में जुट गई है। कादल के झुमरिया जंगल मे एक पखवारे पूर्व जब जंगल पर कब्जा करने की नीयत से आस पास के गांवों की दर्जनों आदिवासी महिलाओं ने डेरा डाल झोपड़ी की निर्माण करने लगी तो इसकी भनक लगते ही आज डीएफओ मनमोहन मिश्रा ,तहसीलदार बृजेश कुमार वर्मा , बघाडू रेंजर रूप सिंह ,दुद्धी रेंजर संजय श्रीवास्तव ,जरहा रेंजर आरके मौर्या ,प्रभारी निरीक्षक राघवेन्द्र सिंह भारी संख्या में पुलिस बल ,पीएसी बल व वन कर्मियों के साथ मौके पर पहुँचे और अवैध कब्जे को जमीनदोज़ कर दिया।
वही खुटा खम्बा सब जब्त कर ट्रैक्टर ट्राली पर रेंज कार्यालय भेजवा दिया। वही वन भूमि पर अवैध कब्जे में लगे लगभग 59 आदिवासी महिलाओं सहित 1 पुरुष को हिरासत में लेकर जेल भेजने की कार्रवाई की जा रही है।
बताया जा रहा है कि इन आदिवासी महिलाओं को वही इस मामले को लेकर जब प्रभागीय वन अधिकारी रेणुकूट मनमोहन मिश्रा से बात करने का प्रयास किया गया तो वह अपना कुछ भी ना बताने को लेकर अपना पल्ला झाड़ते हुए कैमरे के सामने आने से मना कर दिया यह कहा कि अभी कार्यवाही नहीं हुई है कार्यवाही जब हो जाएगी तो मैं कुछ भी बयान देने के लिए जिम्मेदार होगा वही लोगों का कहना है कि इतनी बड़ी कार्यवाही आज तक जनपद में नहीं हुई होगी कि 59 महिलाओं को वह भी आदिवासी महिलाओं को एक साथ वन विभाग के द्वारा कार्यवाही करते हुए जेल भेजने का कार्य किया जा रहा है सवाल यह भी उठता है कि यदि ग्रामीण आदिवासी महिलाएं जब वन भूमि पर कब्जा कर रही थी तो वन महकमा कुंभकरणी की नींद में क्यों सोई हुई थी और इतना सब होता गया संबंधित विभाग क्या कर रहा था।

वही ग्रामीण महिलाओं का यह भी कहना था कि हम आज से नहीं कई सालों से यहां रह रहे हैं और जल जंगल जमीन पर हम आदिवासी का ही मलीकाना हक है जो हम लेकर रहेंगे इसके लिए चाहे विभाग हम सभी के साथ कुछ कर ले हम यह लड़ाई सरकार से नही लेगें तो किससे लेगे हम कहाँ जायेंगे हमारे बच्चे कहाँ रहेंगे हमारे बारे मे सरकार नही सोचेगी तो कौन सोचे गा
