सोनभद्र। एससी व एसटी बेसिक शिक्षा टीचर्स वेलफेयर एसोसिएशन के बैनर तले शिक्षको ने मुख्यमंत्री को सम्बोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को दिया और मांग किया कि अनुसूचित जाति व जनजाति के शिक्षक, कर्मचारी और अधिकारियों अनुसूचित जाति व अनुसचित जनजाति को उनका पदोन्नति में आरक्षण का संवैधानिक अधिकार देने को पदोन्नति में आरक्षण का शासनादेश निर्गत किये जाने के सन्दर्भ में अवगत कराना है कि स्पेशल लीव पिटीशन सिविल जरनैल सिंह व अन्य बनाम लक्ष्मी नारायण गुप्ता व अन्य तथा इसी के साथ न्यायालय में दाखिल 82 अन्य पिटीशन की सुनवाई के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने 2018 को अपने आदेश में अनुसूचित जाति व जनजाति के शिक्षक और सरकारी सेवकों की पदोन्नति में आरक्षण को पूर्णतः उचित, संवैधानिक व न्यायोचित माना है। इसके साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया है कि इस वर्ग को पदोन्नति में आरक्षण देने के लिये मात्रात्मक डाटा एकत्रित करने की कोई आवश्यकता नहीं है और न ही इस वर्ग के पिछड़े पन के परीक्षण की कोई जरूरत है। इसके साथ ही माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने 30.07.2022 के बीके पवित्रा बनाम अन्य के मामले मेंअपने हाल ही के फैसले में भी प्रमोशन में आरक्षण को वैध बताया हैं। किन्तु भारत सरकर व उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा एससी एसटी वर्ग के शिक्षक, कर्मचारी व अधिकारियों को पदोन्नति में आरक्षण देने के लिये शासनादेश अभी तक निर्गत नहीं किया गया। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि केन्द्र व प्रदेश सरकार पक्ष में नहीं है। जबकि भारतीय संविधान में अनुच्छेद 16 (4) हर स्तर पर प्रतिनिधित्व देने की बात करता है।
सवर्ण गरीबों के लिये अभी तक कोई ऐसा सर्वेक्षण व डाटा नहीं था कि इन्हें आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जाये, इसके बाद भी गरीब सवर्णों को आर्थिक आधार पर आरक्षण दे दिया गया, यह कितना न्यायोचित है? जबकि कई दशकों से देश में गरीबी उन्मूलन के कार्यक्रम भी चल रहे हैं।
पदोन्नति में आरक्षण न देने से अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति वर्ग का पदोन्नति पदों पर संवैधानिक प्रतिनिधित्व खत्म व लगभग शून्य हो रहा है, जो भारतीय संविधान का उल्लंघन है।
एससीएसटी बेसिक टीचर्स वेलफेयर एसोसिएशन उ0प्र0 मांग करता है कि तत्काल केन्द्र व राज्य सरकार की सभी सेवाओं में पदोन्नति में आरक्षण का शासनादेश तत्काल निर्गत कर अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति वर्गो को संवैधानिक अधिकार दिया जाये। जिससे इन वर्गों का हर स्तर पर प्रतिनिधित्व पूरा किया जा सके।
सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति / जनजाति के शिक्षकों का उत्पीड़न चरम पर है. तथा विभिन्न अलग-अलग माध्यमों से उन्हें लगातार परेशान भी किया जा रहा है। इस पर तत्काल रोक लगाई जाये। एवं हर विभाग में सभी पदों पर अनुसूचित जाति व जनजाति का प्रतिनिधित्व पूरा नहीं है, इसलिये तत्काल बैकलॉग पूर्ण किया जाये।
उत्तर प्रदेश में जिन शिक्षकों/सरकारी सेवकों की पदावनति की गई, तत्काल उनके पदोन्नतिके आदेश को निरस्त करके पदावनति से पूर्व के पद पर पदावनति के दिनांक से पदस्थापित करते हुये मूल पद के सभी लाभ प्रदान किये जायें।
प्रदेश में अनुसूचित जाति / जनजाति के शिक्षकों, कर्मचारियों एवं अधिकारियों की बड़े पैमाने पर पूर्णतयः गलत व्याख्या कर पदावनतियों की गई हैं। वर्तमान में सर्वोच्च न्यायालय ने अनुसूचित जाति / जनजाति को प्रमोशन में आरक्षण को विधि सम्मत एवं वैध बताया है। उक्त शासनादेश का सहारा लेते हुये प्रदेश में बड़े पैमाने पर पदावनतियों की गई, पदावनतियाँ करने वाले अधिकारियों पर सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी पदावतियाँ करने के विरोध में एससी/एसटी उत्पीड़न की संगत धाराओं में मुकदमा कर जेल भेजा जाये और बर्खास्त किया जाये। पदोन्नतियों पर तत्काल रोक लगाई जाये और पदोन्नति में आरक्षण का शासनादेश निर्गत किया जाये। अन्यथा की स्थिति में एसोसिएशन पूरे प्रदेश में आन्दोलन करने के लिये बाध्य होगा।
