प्रतापगढ़। इंद्रदेव को रिझाने के लिए बच्चों ने खेली कालकलौती, काले मेघा से मांगा पानी, बारिश नही होने से किसान हर टोटके अपना रहे है। पुराने जमाने मे काल काल कलौती खेल कर किसान रिझाते थे इंद्र देवता को, अब जिले में शुरू हुई इंद्र देवता को रिझाने की किसानों द्वारा कोशिशें। यह नजारा पट्टी तहसील के भरोखन गांव का है। काल कलौती खेलीथै काला मेघा पानी दे नाही आपन नानी दे के साथ बच्चे और बड़े काले मेघों को बुलाते थे जब सूखा पड़ जाता था, तो वही आधी रात को महिलाएं खेत मे हल चलाती थीं खुद ही हल खींचती भी थी। ये पूर्वजों का नुस्खा था सूखे से निजात पाने और बारिश करवाने का। इस बार भी प्रतापगढ़ में मानसून दगा दे गया और अच्छी बारिश का पहला महिला आषाढ़ बिन बारिश के निकल गया जिले में आषाढ़ में महज एक दिन बारिश हुई जबकि बीते वर्षो में इसी महीने में तालाब और नालों के उफान के चलते नदियां भी पूरी रवानी पर आ जाती थी।
सावन महीना भी बीती चौदह तारीख से शुरू हो गया है पहले दिन से धूल उड़ रही है जबकि सावन की फुहार और सावन की झड़ी इतनी मशहूर रही है कि तमाम फिल्मों में गानों में इसका वर्णन होता रहता था लेकिन आज सावन पूरी तरह से बदल गया है। मानसून के सक्रिय न होने के बावजूद किसानों ने किसी तरह धान की नर्सरी ट्यूबवेल के सहारे इस उम्मीद तैयार कर डाली की बारिश होगी इतना ही नर्सरी तैयार होकर बेरन कड़ी होने लगी बरसात के इंतजार में तो ट्यूबवेल के सहारे धान की रोपाई भी कर दी लेकिन बारिश नहीं हुई और न ही नहरों में पानी आया जिसके चलते किसान ठगा महसूस करने लगा क्योंकि जिन खेतों में धान की रोपाई कर रख्खी थी उसकी जमीन फट गई है बिना पानी के और किसानों की गाढ़ी कमाई बर्बाद होती जा रही है।

बता दें कि बरसात ना होने से किसानों में घोर निराशा छाई हुई है। अब किसान अपने बच्चों को काल कलौती खेलने को एकजुट कर खुद पानी डाल रहे इस काम मे पड़ोसी भी सहयोग में बाल्टियों से पानी लाकर डाल रहे है। किसानों को उम्मीद है कि बच्चों की इस तरह से पानी की तड़प देख इंद्र देवता भी द्रवित होंगे और बारिश करने को मजबूर हो जाएंगे। यह नजारा है पट्टी तहसील के भरोखन गांव का जहा बच्चे इंद्रदेव से पानी बरसाने की गुहार लगा रहे है, इस दौरान काले मेघा पानी दे के शोर से पूरा गांव गूंज उठा।
