सोनभद्र। केंद्र और प्रदेश सरकार अरबो रुपये का बजट शिक्षा सुधार में खर्च भले ही कर रही है जो आंकड़ों की बाजीगरी में ही उलझ कर खत्म हो जा रही है, जिससे यहां दिन भर चले अढ़ाई कोस की कहावत चरितार्थ होती है। देश के 115 आकांक्षी जिलों में शामिल सोनभद्र में प्राथमिक , उच्च प्राथमिक विद्यालयों से लेकर माध्यमिक स्तर की शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त है। यहाँ बेसिक शिक्षा विभाग में नियुक्त अध्यापकों के छुट्टी व अटैच मेन्ट का खेल बड़ ही धड़ल्ले से खेला जाता है जिसके लिए उच्च ओहदे पर विराजमान अधिकारी व जनप्रतिनिधि भी पैरवी करते है। अगर सूत्रों की माने तो राज्यपाल के रिश्तेदार से लेकर मंत्री व अधिकारियों के रिश्तेदार नियुक्त है। यह आलम तब है जब जिले कहने को तो प्रतिदिन जिलाधिकारी , मुख्य विकास अधिकारी से लेकर बेसिक शिक्षा अधिकारी विद्यालयों का निरीक्षण करते है।
जनपद मे सैकड़ो प्राथमिक उच्च प्राथमिक विद्यालय है जिसमे लाखो बच्चे अपने भविष्य को सवारने आते है लेकिन रावर्ट्सगंज ब्लाक के परसौटी प्राथमिक विद्यालय का नाजारा कुछ और ही है। इस विद्यालय मे दो अध्यापिकाओं व दो शिक्षामित्रों की तैनाती है लेकिन वह भी नाम मात्र की । क्योकि दोनो अध्यापिकायें लम्बी छुट्टी लेकर चली गई है एक बागपत तो दुसरी आगरा मे है । शिक्षामित्र बेचारे क्या करते एक ने अपनी पत्नी प्रसूति होने के कारण एक माह के छुट्टी पर चला गया स्कूल मे बची तो सिर्फ एक महिला शिक्षामित्र । इस सम्बंध में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी का कहना है कि जिले 2061 विद्यालय है जिसमे लगभग चार हजार अध्यापक – अध्यापिका नियुक्त है , इसके बावजूद साढ़े तीन हजार शिक्षकों की कमी है। आकांक्षी जिला होने के बावजूद यहां शिक्षक आन लाइन ऑप्शन चुन कर आ रहे है जो व्यवस्था मौजूद है उन्ही से काम चलाया जा रहा है।
अब सवाल विद्यालय मे कौन पढायेगा , मिड-डे मिल कौन बनवायेगा। इस सब झमेले मे बच्चों का भविष्य अन्धकार मे पिसता चला जा रहा है । ग्राम प्रधान का कहना है की हमारा अभी तक खाता ही नही खुला है तो हम क्या कर सकते है ।
अब हम आप को लेकर चलते है परसौटी प्राथमिक विद्यालय । विद्यालय के प्रांगण के बाहर बडे बडे गढ्ढे खोद कर छोड़ दिया गया है । बच्चे स्कूल आते जाते कभी भी गढ्ढे मे गिर कर दुर्घटना का शिकार हो सकते है । शौचालय की स्थिति बैड से बत्तर है गन्दगी इतनी की कोई शौचालय जाना नही चाहेगा ।
इस विद्यालय का लाखो रुपये खर्च कर कायाकल्प कराया जा चुका है जो कही से देख कर नही लगता है की विद्यालय मे कोई भी अच्छा कार्य हुआ है । ग्राम प्रधान शिव कुमार ने भी दबी जुबां से स्वीकार किया की कायाकल्प योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है ।
वही विद्यालय मे पढ़ाने के नाम पर एक शिक्षामित्र है जो पढ़ाते मिली बाकी लोग बाल गणना मे गये गये थे। बच्चो से पढाई के सम्बंध मे पुछा गया तो बच्चो ने बताया की दो मैडम है जो हमेशा छुट्टी पर रहती है वह लोग 10 दिन आती है तो दो महीना नही आती है ।
जबकि विद्यालय की उपस्थिति रजिस्टर मे देख कर लगता है की यहा पर अध्यापिकाओं की उपस्थिति सिर्फ मजाक बन कर रह गई है । वर्ष 2021 जुलाई माह से उपस्थिति रजिस्टर मे उपस्थिति हस्ताक्षर से ज्यादा अवकाश दिखाई दिया । पहला हस्ताक्षर अध्यापिका अंशु का था जुलाई माह मे कुल 18 छुट्टी , अगस्त माह मे कुल 18 छुट्टी । 25 नवम्बर से 17 दिसम्बर 2021 तक कुल 23 छुट्टी । वर्ष 2022 मे 4 फरवरी से 19 फरवरी तक कुल 16 दिन छुट्टी जिसको जोड़ दिया जाय तो 75 दिन का अर्थ लगभग 3 माह छुट्टी , 13 मार्च से अब तक मेडिकल लिव पर लगातर छुट्टी पर है । वही दूसरी अध्यापिका गीता शर्मा की बात करें तो वर्ष 2021 अक्तूबर माह मे 13 छुट्टी , नवम्बर मे 4 छुट्टी व 13 नवम्बर से 9 मई तक प्रसूति अवकाश पर है।

विद्यालय के शिक्षामित्र संजय देव पाण्डेय ने बताया कि लगभग 1 माह से अधिक स्कूल मे मिड-डे मिल नही बना था। इसका कारण यह था की दोनो अध्यापिकायें छुट्टी पर चली गई है । दोनो अध्यापिकाओं की नियुक्ति 2018 मे हुई थी उसी समय से विद्यालय मे उपस्थिति का यही हाल है । दोनो अध्यापिकाये हमेशा छुट्टी पर चली जाती है । मै भी छुट्टी पर था । एक हफ्ते से दुसरे विद्यालय के अध्यापक को अटैच कर दिया । अब मिड डे मील बन रहा है शिक्षण कार्य भी सुचारु रुप से हो रहा है।
वही विद्यालय मे अटैच किये गये दूसरे विद्यालय के अध्यापक श्यामनन्दन का कहना है की अधिकारियों के आदेश पर मै यहाँ आया हुँ अभी बाल गणना करने के साथ शिक्षण कार्य किया जा रहा है ।
इस पूरे प्रकरण की जानकारी पहले से ही विभागीय अधिकारियों को है लेकिन कोई कार्यवाही कराने के बजाय बचाव करते ज्यादा दिखाई दिये। जिला बेसिक शिक्षाधिकारी का कहना है की छुट्टी अध्यापको का अधिकार है हाँ यह जरूर है की शिक्षक कार्य सुचारु रुप से होना चाहिए । इसके लिये एक अध्यापक को अटैच कर दिया गया है ।
