श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की झांकी सजाने की प्राचीन रही है सोनभद्र में

Share this post

हर्षवर्धन केसरवानी

सोनभद्र। जनपद मुख्यालय सोनभद्र नगर की झांकी की परंपरा प्राचीन है। प्राचीन काल में श्री कृष्णा जन्मोत्सव के रूप में सारे देश भर में प्रसिद्ध है। स्थानीय निवासी/इतिहासकार दीपक कुमार केसरवानी के अनुसार रॉबर्ट्सगंज नगर में श्री राधा कृष्ण मंदिर का निर्माण नगर के रईस, व्यापारी, आजाद भारत के नोटिफाइड एरिया के प्रथम अध्यक्ष बलराम दास केसरवानी ने कराया था और सार्वजनिक रूप से इस मंदिर से श्री कृष्ण जन्माष्टमी की झांकी मनाने की परंपरा का आरंभ हुआ जो आज भी जारी है।

उत्तर मोहाल में श्री कृष्ण जन्माष्टमी की झांकी की शुरुआत से पहले बच्चे पुराने खिलौने की मरम्मत, झडी-पतंगी बनाना शुरू कर देते थे और नए खिलौने खरीदने के लिए पैसे का एकत्रीकरण आरंभ हो जाता था। सबसे ज्यादा उत्साहित होते थे, बच्चे, आपस में मिलकर सभी बच्चे रुपया- पैसा एकत्रित कर जन्माष्टमी की तैयारी शुरू कर देते थे। इस झांकी में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करने वाले माता प्रसाद के अनुसार-“आज से लगभग सात दशक पूर्व नगर के उत्तर मुहाल के निवासी शिवशंकर प्रसाद, पार्वती देवी द्वारा सार्वजनिक रूप से छोटे स्तर पर छह दिवसीय श्री कृष्ण जन्माष्टमी की झांकी का शुभारंभ किया गया, इस अवसर पर श्री कृष्ण जन्म से छठी तक उत्तर मोहाल की भक्त चमेली देवी, मोबत देवी, फुला देवी, ललिता देवी, अमरावती देवी, सुशीला देवी, गुलाबी देवी प्रतिदिन शाम को पारंपरिक लोक वाद्य यंत्र ढोलक की थाप पर प्रतिदिन सोहर का गायन करती थी।


कालांतर में इस मोहल्ले में मिर्जापुर जनपद से आए राम सूरत सिंह यादव ठेकेदार द्वारा इस झांकी का विस्तार किया गया। यहां पर बड़े ही मनोयोग से झांकी को सजाया जाता था, इस सजावट में स्वर्गीय गुलाब प्रसाद केसरी,साधु मिस्त्री, महेश मिस्त्री नानक चंद आदि टेक्नीशियनो का महत्वपूर्ण योगदान रहता था। उस समय नगर में बिजली तो थी, लेकिन इलेक्ट्रानिक खिलौनों और उपकरणों का जमाना नहीं था,लोग अपने दिमाग का इस्तेमाल कर मैनुअल तरीके से पंखे के मोटर, साइकिल की रीम व दफ्ती पर कृष्ण आदि के चित्रों की कटिंग कर धागे और पेच के सहारे जोड़कर इन चित्रों को चलचित्र का रूप देते थे इनमें नृत्य करती हुई मीरा बाई, गोपियों संग नृत्य करते हुए श्री कृष्ण,शिव पार्वती के पीछे चलता हुआ चक्र, रूई का पहाड़, चलता झरना,पथरचट्टी आदि झांकी लोगों के लिए आश्चर्यजनक और विस्मयकारी होती थी, सांचे के माध्यम से रंगोली,केले के पेड़ से झांकी का द्वार आदि की सजावट पुरूष ही करते थे।


श्री कृष्ण भक्त जवाहिर सेठ के अनुसार-कार्यक्रम की तैयारी पंद्रह दिन पूर्व ही शुरू हो जाती थी, जिसके अंतर्गत मोहल्ले के बच्चों द्वारा झंडियां बनाना, चिपकाना और दफ्ती पर कागज चिपका कर उस पर क्रीच और स्याही से बिरहा मुकाबला की सूचना लिख कर सार्वजनिक स्थानों पर लगाया जाता था और रिक्शे के द्वारा कार्यक्रम का एलाउंसमेंट, विजयगढ़ टॉकीज में फिल्म से मध्यांचल में स्लाइड शो चलवाया जाता था।बिरहा के मुकाबले के लिए सड़क पर ही ड्रम पर चौकी रखकर मंच बनाया जाता था,आमने- सामने दो मंच बनाए जाते थे जिस पर रेडियो लोकगीत गायक बुल्लू यादव, हीरा यादव, रामदेव यादव आदि गायक श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दूसरे दिन बिरहा का गायन करते थे, यह रॉबर्ट्सगंज नगर का सबसे बड़ा मेला होता था,नगर के आसपास के ग्रामीणजन बिरहा का आनंद रात भर लेते थे, स्थानीय निवासी अपने छतों, घरों के बरामदे से बिरहा सुनते थे,इन सुनने वालों में महिलाओं की संख्या ज्यादा होती थी, क्योंकि उसमें पर्दा प्रथा का प्रचलन ज्यादा था।
कालांतर में नवाब चन्द सेठ द्वारा अपने आवास पूरब मोहाल में भव्य झांकी का शुभारंभ किया गया और एक साल शीशे से आकर्षक झांकी की सजावट हुई थी इसकी याद आज भी नगर के बुजुर्गों को है। शीतला मंदिर चौराहे पर लखन सेठ द्वारा श्री कृष्ण जन्माष्टमी की झांकी आकर्षक ढंग से सजवाई जाती थी।

आरटीएस क्लब के अध्यक्ष कुसुमाकर श्रीवास्तव का बताते हैं कि-आरटीएस क्लब के पदाधिकारी डॉक्टर जय राम लाल श्रीवास्तव, सेनेटरी इंस्पेक्टर ललित मोहन श्रीवास्तव,राजा शारदा महेश इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य रुद्र प्रसाद श्रीवास्तव, शंभू सेठ,बलराम दास केसरवानी, शिव शंकर प्रसाद केसरवानी भोला सेठ,बी एन बाबू,इंटरेशिया इत्यादि नगर के सभ्रांत व्यापारियों द्वारा नगर के आरटीएस क्लब में झांकी शुरू कराया गया,इस झांकी में आधुनिकता का पुट देखने को मिलता था और इस छह दिन चलने वाले कार्यक्रम में छह प्रकार के प्रसाद, छह प्रकार की झांकियों का प्रदर्शन और छह प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन होता था। इन कार्यक्रमों में बिरजू महाराज, गुदई महाराज सहित देश के नामचीन कलाकार गायन/ वादन की प्रस्तुति देकर अपने आपको धन्य समझते थे इसके अलावा आधुनिक ढंग पर आधारित आर्केस्टा, पर्दे पर भक्ति में फिल्म का प्रदर्शन आदि का भी आयोजन श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर किया जाता था। परंपरागत रूप से सजाई जाने वाली श्री कृष्ण जन्माष्टमी की झांकी अब बंद हो चुकी है, लेकिन नगर के साई मंदिर, दुर्धेश्वर मंदिर, राधा कृष्ण मंदिर, राम जानकी मंदिर, बांके बिहारी मंदिर, आदि मंदिरों एवं भगवान श्री कृष्ण के भक्तों द्वारा अपने व्यक्तिगत आवासों पर भगवान श्री कृष्ण की झांकी सजाई जाती है और जन्माष्टमी का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।

Ravi pandey
Author: Ravi pandey

Related Posts

Live Corona Update

Advertisement

Advertisement

Weather

+43
°
C
+45°
+37°
Delhi (National Capital Territory of India)
Wednesday, 30
Thursday
+44° +35°
Friday
+42° +35°
Saturday
+43° +34°
Sunday
+43° +35°
Monday
+44° +36°
Tuesday
+45° +36°
See 7-Day Forecast

 

Live Cricket Updates

Stock Market Overview

Our Visitors

0 5 4 1 2 8
Users Today : 11
Users This Month : 962
Total Users : 54128
Views Today : 17
Views This Month : 1478
Total views : 87515

Radio Live

Verified by MonsterInsights