सोनभद्र। एनजीटी द्वारा मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार को जोड़ने वाली सोन नदी मे बालू खनन पर रोक लगाने के आदेश को खनन व्यवसायियों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दिया था, जिस पर कोर्ट ने ग्रीष्म अवकाश के बाद अगली तिथि तक स्टे दिया है। इस आदेश पर बिरसा मुण्डा फाउण्डेशन ने विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा है कि वह सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष मजबूती से रखेगा, हमे सुप्रीम कोर्ट से न्याय की उम्मीद है। उक्त बातें पर्यावरण की लड़ाई लड़ रहे विकाश शाक्य एडवोकेट ने कही।
श्री शाक्य ने बताया की अभी तक चंद्रशेखर चौरसिया, एन डी फार्मा प्राइवेट लिमिटेड, वर्धमान कंपनी, मास्टरजीनी सर्विसेज प्रा. लिमिटेड की ओर से एन जी टी के बालू खनन रोक वाले आदेश को चुनौती अपील याचिका पर सुप्रीम कोर्ट मे सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ दवे, मयंक पांडेय,आशीष कुमार पांडेय ने बहस की। विरसामुंडा फाउंडेशन के ओर से अभिषेक चौबे एडवोकेट,मनीष तिवारी एडवोकेट, आर के तंवर और निहार रंजन सिंह एडवोकेट ने बहस मे अपना पक्ष रखा। बहस सुनने के बाद न्यायलय ने गर्मी के अवकाश के बाद अगली सुनवाई तक स्टे दिया है।कुछ अन्य पट्टा धारको की भूमिका वर्तमान मामले मे अलग है जिससे समानता का लाभ नही मिलेगा। पर्यावरण संरक्षण की लड़ाई सर्वोच्च न्यायालय से जितने की उम्मीद जताई है।
श्री शाक्य ने जिला प्रशासन से उम्मीद जताया कि सुप्रीम कोर्ट के अग्रिम आदेश तक खनन होता तो वह सेंचुरी और सोन नदी की धारा को किसी भी प्रकार से अवरुद्ध तथा प्रभावित ना करें।
